Monday, April 09, 2012

सिरों के धागे

यादों के कोई सिरे नहीं होते
अंत नहीं होता, शुरुआत नहीं होती
बारिश होती है
अमलतास से टपकती बूँदे होती है
दालान में सूखती जवें होती है
अलगनी पर कपड़े, धूप और होली के रंग
और फिर तुम्हारी बातें
गौरया की चोंच में पकड़ी सुबह हो जैसे
रेशमी, सुनहरी गलियों का ताना बाना हो
बातें नहीं हों तो
शाम में घुलती रात जैसे पहने हो
जामुन का फ़लसई जामा
बचपन के कैन्वस पर क्रैयोन से
जितने भी चित्र उकेरे थे
भित्ती से उभर आए हैं
मेरे मन के उस कोने में जहाँ
गहरा नीला आसमान है,

गहरा नीला आसमान होता है
जामुन का फ़लसई जामा होता है
तुम्हारी बातें रेशम सी होती हैं
और
यादें भी होती हैं नरम बिछौने के नीचे
दबी हुई धूप हो जैसे।

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