चलो आज फिर रात के सायों तले
टिप टिप करती बूँदों को पिरो लें
तुम उनको खिड़की में रखना
मैं उनको चाँदनी का जामा पहनाऊँगी
चाँदनी का लिबास पहन कर बूँदें
जब नीचे उतरेंगीं तो रास्ते में
खो न जाएँ,
आसमान की डिबिया बना देना
हम खोलेंगे उसे अमावस के दिन
तब चाँदनी होगी और नमी भी होगी
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Saturday, September 24, 2011
Friday, September 23, 2011
हाइकु
वाइन ग्लास
गिरी गुलाबी पत्ती
तस्वीरनुमा
साइड कैफ़े
ज्योतिष और कॉफ़ी
अध प्रसंग
मुंबई फ़िल्म
रंगीन टीन छ्त
चौल कोलाज
टूटी टाइल
बाँसों का झुरमुट
तैरती मीन
जडाऊ जूती
अलमारी का आला
पुराना रास्ता
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