Friday, March 21, 2008

होली- कुछ चित्र

खुलते जाते सब गठबँधन
आसमान से हटते पहरे
जब से फागुन ले कर आया
पीत पराग रँग कुछ गहरे।
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पीली हल्दी, सजी किनारी
खिली धूप की चादर ओढ़ी
आँगन पूरा हरसिंगार सा
और वसंत खड़ी है ड्योढ़ी।
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पच पच पच करती पिचकारी
रँगों की बहती फुलवारी
मल गुलाल सिहरी दोपहरी
मेघों का सुन गर्जन भारी
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आँगन में फ़ैली है किच-पिच
रंग सुनहरे, चूनर गीली
सूर्य किरण अब उन्हें सोख के
खेल रही गलियों में होली।
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होली की शुभकामनाओं सहित

8 comments:

मुनीश ( munish ) said...

NICE BUT I THOUGHT U POSTED SOME REAL PICTURES.HOLI HAPPY HO.

Unknown said...

होली पर रंग भरी लहर भरी कविता पढ़वाने का बहुत धन्यवाद और होली की सारे परिवार को शुभ कामनाएं - साभार - मनीष

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! आपको होली की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती

अमिताभ मीत said...

बहुत सुन्दर. आप को भी सपरिवार होली की शुभकामनाएं.

Anonymous said...

barhiya lagi aapki kavita..Holi ki shubhkamnayen..

Ramashankar said...

फागुन की मस्ती और हिन्दुस्तान की होली इनका मिलन ही असली त्यौहार है. अच्छी रचना. आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं. खुशी के सारे रंग आपके दामन पर लिपटें इस कामना के साथ...

डॉ .अनुराग said...

aha kafi dino se kuch nahi likha aapne....

tarun said...

apne desh ki holi yaad aa gayee ..

bahut achhi rachna hai ..

-tarun