Tuesday, November 28, 2006

कुछ हायकु

१.
चौबारे तले
पीली निबोली झरी
बूढ़ा था नीम

२.
पतझड़ में
पत्ते गिरे तरू से
मैंने पहने

३.
सुर्ख सूरज
साँझ हुई गुलाबी
नयन बसी

४.
क्षणिक भ्रम
मीठी लगी मुस्कान
निकला चाँद

५.
भोज पत्र पे
रचे थे महाकाव्य
आज भी ज़िन्दा

६.
नव निर्माण
सदी का पृष्ठों पर
मिट रहा है

3 comments:

संजय बेंगाणी said...

सुन्दर.
मेरी पसन्द 2 व 6.

bhuvnesh sharma said...

अति सुँदर रजनीजी

रजनी भार्गव said...

संजय जी,मुझे भी २ बहुत अच्छा लगा,धन्यवाद.
भुवनेश जी प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद.