Friday, October 20, 2006

दीपावली की शुभ कामनाएँ

कनक, जौ की बालियाँ हँसी,
वन्दनवार बाँध कर देहरी सजी,
तारे बिखरे जब धरा पर तो
रँगोली में रँगों की धनक रची.

दिये पूर कर सजे हर कोने में,
टिमटिमाए दिये हर कोने में,
अमावस का पर्व आया, उल्लास लाया,
आशा को पिरोया मन के हर कोने में.

य़ूँ ही आशा बनी रहे हर क्षण,
गुँथे वेणी गेंदे और गुलाब से हर पल,
दीपावली जब भी आए
अमावस में दूज का चाँद खिले हर पल

2 comments:

Udan Tashtari said...

आपको भी दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें एवं बधाई.

राकेश खंडेलवाल said...

दीवाली के दिये जलें औ' शनि अब मंगलमय हो
दसों दिशाओं में नित घोषित रहे, आपकी जय हो
ॠद्धि-सिद्धि दायक,गणनायक हों पथ के निर्देशक
सुख जीवन में रहे कि जैसे पंचामॄत में पय हो.

शुभकामनाओं सहित

राकेश खंडेलवाल