आया नया साल
ढलते दिन के साथ,
साँसे बह चली,
लिये नूतन दिवस के पराग।
आया नया साल
बदलती तिथि के साथ,
अहसासों की गिलौरी में
बस गई है मीठी आस
आया नया साल
पुराने दिनों के साथ
आस्था की मौली बाँधी,
नए सूर्योदय के साथ।
आया नया साल
गुज़रते सपनों के साथ,
खुरदरे समय पर लिखी
तराशी हुई कहानियाँ आज।
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Wednesday, January 09, 2008
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6 comments:
नये साल में नये सपने , नये साल में नई कहानी , नये साल में सब कुछ नया !
"अहसासों की गिलौरी में
बस गई है मीठी आस"
सुंदर……… मिठास बनी रहे
उकेरें
नये दिनों पर
कहानियों के बूटे
नई किरन का
लगाकर टीका
प्रत्यक्षा ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद.
पारुल जानकर खुशी हुई कि तुम्हे अच्छी लगी और
राकेश जी खूबसूरत टिप्पणी के लिए धन्यवाद.
आस्था की मौली - कविता-कहानियों के किरीट - इस साल यहीं सजें - rgds- मनीष [ क्षमा- आज ही देखा ]
सुंदर कविता। आपके ब्लाग पर बहुत दिनों बाद आई हूँ और सभी कवितायें पढ़ीं। बहुत सुंदर लिखती हैं आप, अनूप दा कैसे इतना अच्छा लिख पाते हैं अब समझा आया। ;-)
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