Saturday, September 24, 2011

चाँदनी और नमी

चलो आज फिर रात के सायों तले
टिप टिप करती बूँदों को पिरो लें
तुम उनको खिड़की में रखना
मैं उनको चाँदनी का जामा पहनाऊँगी
चाँदनी का लिबास पहन कर बूँदें
जब नीचे उतरेंगीं तो रास्ते में
खो न जाएँ,
आसमान की डिबिया बना देना
हम खोलेंगे उसे अमावस के दिन
तब चाँदनी होगी और नमी भी होगी

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Friday, September 23, 2011

हाइकु

वाइन ग्लास
गिरी गुलाबी पत्ती
तस्वीरनुमा

साइड कैफ़े
ज्योतिष और कॉफ़ी
अध प्रसंग

मुंबई फ़िल्म
रंगीन टीन छ्त
चौल कोलाज

टूटी टाइल
बाँसों का झुरमुट
तैरती मीन

जडाऊ जूती
अलमारी का आला
पुराना रास्ता


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Wednesday, August 24, 2011

अब तक का समाचार यह है

अब तक का समाचार कुछ ऐसा है

अम्मा की रात
एक पहर की हो गई है,
तकिये के सिरहाने
घड़ी की टिक टिक बंद हो गई है,
दर्द रहा पूरी रात भर पर
कल से कुछ आराम सा है

नदी शोर मचाती रही,
आकाश गंगा से
उल्काएँ टूटती रहीं रात भर,
किताब के पन्ने खुले रहे
उसी पृष्ठ पर,
मन में बेचैनी रही रात भर पर
कल से मन कुछ अनमना सा है

आकाश की असीमता छोटी हो गई
रेत के टीले और ऊँचे हो गए
घर के आगे अब नागफ़नी उग आई है
समुद्र का शोर हर दिन दरवाज़े पर दस्तक देता है
सदियाँ यहाँ आते आते थक जाती हैं
अंधड़ में गाँव का रास्ता खो गया है पर
कल से कुछ ठहराव सा है

अब तक का समाचार यह है
समय के दस्तावेज़ों में
मेरा तुम्हारा नाम दर्ज़ नहीं है
मानचित्र पर अब वह गाँव नहीं है
पल पल का अहसास नहीं है
सन्नाटे में कोई शोर नहीं है
कल से कुछ डेज़ा वू सा है।

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