Friday, August 17, 2007

मौन प्रतीक

साँझ के रँगों में
उदय होता वो पहला तारा,
मेरी आँखों में तैर रहा था,
रात भर सपनों में गूँथा,
सुबह आँख के कोरों से बह गया था,
सिरहाने सिर्फ़ उसका अहसास था,
भूलते हुए स्वप्न का
वह मौन प्रतीक था.