मैं नानाजी की टोपी,
चाँद की किरण से सीती थी।
अंदर से टोपी उधड़ गई थी।
उम्र में बड़ी हो गई थी।
थकी-हारी कुछ बेजान सी लगती थी।
जब तागे निकल जाते थे तो
झूमर से लहराते थी।
बड़े छोटे बेतरतीब से माथे पर नज़र आते थे।
टोपी अब भी पुख्ता थी।
ऐसे लगता था जैसे कोई मनौती हो,
दुआ सी असर करती थी।
नानाजी को ठंड से बचाए रखती थी।
चाँद की किरण तिलस्मी होती है,
अम्बर की परी नानाजी की सहेली होती थी।
टोपी जब ठीक हो जाती थी
ढेरों आशीषों की बरसात होती थी।
नानाजी के पास चाँद की किरण होती थी,
मेरे पास आशीषों की बरसात।
_____________________
Tuesday, September 02, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
17 comments:
अंदर से टोपी उधड़ गई थी।
उम्र में बड़ी हो गई थी।
थकी-हारी कुछ बेजान सी लगती थी।
जब तागे निकल जाते थे तो
झूमर से लहराते थी।
बड़े छोटे बेतरतीब से माथे पर नज़र आते थे।
bahut hi bhawporn likha hai...
bdhaae
ऐसे लगता था जैसे कोई मनौती हो,
दुआ सी असर करती थी।
नानाजी के पास चाँद की किरण होती थी,
मेरे पास आशीषों की बरसात।
बहुत खूब. बहुत ही बढ़िया.
बहुत सुंदर कविता है. पढ़कर मुझे अपने नानाजी याद आ गए.
चाँद की किरण तिलस्मी होती है,
अम्बर की परी नानाजी की सहेली होती थी।
टोपी जब ठीक हो जाती थी
ढेरों आशीषों की बरसात होती थी।
नानाजी के पास चाँद की किरण होती थी,
मेरे पास आशीषों की बरसात।
बेहद भावपूर्ण ओर मासूम.....कई दिनों बाद आयी आप ?मसरूफ है कही ?
nanaji par behad sundar rachana lagi . dhanyawad.
बहुत विलक्षण बिम्ब और शब्द चुने हैं आपने इस रचना के लिए..बहुत खूब...वाह.
नीरज
एक अछूते विषय का मर्मस्पर्शी और अनूठा चित्रण।
बधाई ही नहीं आभार भी ऐसी रचना देने के लिये।
बहुत सुंदर !
और कहाँ रहीं इतने दिन ?
चाँद की किरण तिलस्मी होती है,
अम्बर की परी नानाजी की सहेली होती थी।
टोपी जब ठीक हो जाती थी
ढेरों आशीषों की बरसात होती थी।
नानाजी के पास चाँद की किरण होती थी,
मेरे पास आशीषों की बरसात।
bahut sundar...
अंदर से टोपी उधड़ गई थी।
उम्र में बड़ी हो गई थी।
थकी-हारी कुछ बेजान सी लगती थी।
जब तागे निकल जाते थे तो
झूमर से लहराते थी।
साधारण से शब्द और गहरी बात ...
बहुत बढ़िया
अरे वाह,
इत्तनी प्यारी कविता लिये
आज आप आईँ हैँ :)
स स्नेह,
- लावण्या
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है। सस्नेह
हां वे अनदेखे टांके
अभी भी मज़बूती से
हवाओं के धागे से
जोड़े हुए हैं
उस एक अहसास को
जो जुड़ा है
सब असे
bahut accha likha hai mam...
simply very good....
thank u....
rajniji
aapki rachana mein bhav, prateek aur samvedna bahut achchi hai.kabhi mere blog per bhi aaiye.
bhavon ka sundar chitran. par laya me kuchh kami najar aai. kahin kahin tuk thik nahi baith pa rahi hai. koshish karti rahen. meri shubhkamnayen.
बहुत खूबसूरत! मुझे मेरे नाना जी की याद आ गई
Post a Comment