tag:blogger.com,1999:blog-30256155.post3433605130603601276..comments2023-10-02T02:47:03.622-07:00Comments on रजनीगन्धा: मौन प्रतीकरजनी भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-19433630047344741662008-06-02T21:42:00.000-07:002008-06-02T21:42:00.000-07:00ब्लाग पर कविताओं और तुकबंदियों की भीड़ देखकर उकताय...ब्लाग पर कविताओं और तुकबंदियों की भीड़ देखकर उकताया हुआ था, जहां ज्यादा देर ठहरना समय की बरबादी लगती है. लेकिन आपकी रचनाओं की बात ही अलग हैं. सहज-सरल, सुन्दर शब्दों में जीवन के भिन्न-भिन्न पहलुओं को आपने उकेरा है. पढ़ना, गुनना अच्छा लगा. लिखती रहें और इन्हें किताबों की शक्ल में भी लाएं, रजनी की ही तरह महकें.शुभकामनाएं.राजेश अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/03166713468895085704noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-9786519997773968062007-08-21T03:46:00.000-07:002007-08-21T03:46:00.000-07:00बहुत बहुत सुन्दर !बहुत बहुत सुन्दर !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-79432667776621922152007-08-18T09:49:00.000-07:002007-08-18T09:49:00.000-07:00बहुत सुन्दर !घुघूती बासूतीबहुत सुन्दर !<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-60338011652387773932007-08-18T09:36:00.000-07:002007-08-18T09:36:00.000-07:00वाह, स्वपन भूलने का भी सिर्फ अहसास ही है!!बहुत बढ़ि...वाह, स्वपन भूलने का भी सिर्फ अहसास ही है!!<BR/><BR/>बहुत बढ़िया, बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-71665709841179939822007-08-18T05:21:00.000-07:002007-08-18T05:21:00.000-07:00वाह-वाह! गागर में सागर! पर आज शाम फिर उगेगा। उस ता...वाह-वाह! गागर में सागर! <BR/>पर आज शाम फिर उगेगा। <BR/>उस तारे को दिल में जकड़ लें,<BR/>तो नई कविता में साकार होगा।।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.com