tag:blogger.com,1999:blog-30256155.post116189171565840096..comments2023-10-02T02:47:03.622-07:00Comments on रजनीगन्धा: गलीरजनी भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161966124653354732006-10-27T09:22:00.000-07:002006-10-27T09:22:00.000-07:00ऐसा लग रहा है दिल्ली की गलियाँ फ़िर से बस गई,बहुत ख...ऐसा लग रहा है दिल्ली की गलियाँ फ़िर से बस गई,बहुत खूब प्रत्यक्षा, गिरिराज जोशी, संजय जी,राकेश जी, और अनुराग जी.आप सब की सराहना के लिए धन्यवाद.रजनी भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161952079938591332006-10-27T05:27:00.000-07:002006-10-27T05:27:00.000-07:00खुली आज वह एक पिटारी, जिसे सहेजा बना धरोहरयादों की...खुली आज वह एक पिटारी, जिसे सहेजा बना धरोहर<BR/>यादों की अलगनियों पर फिर लटकाया बचपन को धोकर<BR/>बढ़ते रहे कदम नित पथ पर अनजाने मोड़ों से आगे<BR/>लेकिन छुटा नीड़ जो पीछे, रहे सर्वदा उसके होकरराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161950188652732912006-10-27T04:56:00.000-07:002006-10-27T04:56:00.000-07:00बहूत अच्छी पंक्तियाँ लिखी है आपने ॰॰॰ अपनी कविता ज...बहूत अच्छी पंक्तियाँ लिखी है आपने ॰॰॰ <BR/><BR/>अपनी कविता <B>जिन्दगी</B> का कुछ अंश आपको समर्पित कर रहा हूँ -<BR/>(पूरी कविता काफि लम्बी है सो मुझे डर हैं कहीं ब्लॉगस्पॉट हाथ ना खड़े कर दे। :) )<BR/><BR/>सड़क किनारे किसी पतली गली में,<BR/>आड़ी-तिरछी बनी हुई है॰॰॰ <B>जिन्दगी</B><BR/><BR/>प्यार, खुशी, मंजील से दूर ले जाती "मजबूरी"<BR/>शायद किसी खूंटे से बंधी हुई है॰॰॰ <B>जिन्दगी</B><BR/><BR/>सिगरेट के छल्ले और मदिरा की बोतलें<BR/>अपनी मस्ती में मस्त बेफिक्र है॰॰॰ <B>जिन्दगी</B><BR/><BR/>खुले गगन में सितारों के बीच उड़ता पंछी बोला<BR/>आगे बढ़ते रहने का नाम है॰॰॰ <B>जिन्दगी</B>गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161950090809193792006-10-27T04:54:00.000-07:002006-10-27T04:54:00.000-07:00This comment has been removed by a blog administrator.गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161946254388196992006-10-27T03:50:00.000-07:002006-10-27T03:50:00.000-07:00कभी पानी सी तरलकभी मिट्टी सी जिन्दगीकभी करेले सी क...कभी पानी सी तरल<BR/>कभी मिट्टी सी जिन्दगी<BR/>कभी करेले सी कड़वी<BR/>तो कभी कट्टी-मिट्ठी सी जिन्दगी<BR/>बने बोझ तो, ढोते रहो<BR/>हँसी-खुशी पलमें गुजरे जिन्दगी.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161931857032927162006-10-26T23:50:00.000-07:002006-10-26T23:50:00.000-07:00ऊन के गोलेगिरते हैं खाटों के नीचेसलाईयाँ करती हैं ...ऊन के गोले<BR/>गिरते हैं खाटों के नीचे<BR/>सलाईयाँ करती हैं गुपचुप<BR/>कोई बातें<BR/>पीते हैं धूप को जैसे <BR/>चाय की हो चुस्की <BR/>दिन को कोई कह दे<BR/>कुछ देर और ठहर ले<BR/>इस अलसाते पल को<BR/>कुछ और ज़रा पी लें<BR/>जिन्दगी के लम्हे<BR/>कुछ देर और जी लेंPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30256155.post-1161916297422379562006-10-26T19:31:00.000-07:002006-10-26T19:31:00.000-07:00गुलज़ार सा'ब की यह पंक्तियां याद आ गयीं:हो सके तो इ...गुलज़ार सा'ब की यह पंक्तियां याद आ गयीं:<BR/><BR/>हो सके तो इसमें ज़िंदगी बिता दो<BR/>पल जो ये जाने वाला है<BR/><BR/>हम एक लमहे में सारी ज़िंदगी जी लेते हैं!अनुराग श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03416309171765363374noreply@blogger.com